सुबह सुबह घूमने के क्या फायदे?
नियमित सैर के ये फायदे नहीं जानते होंगे आप
- डिप्रेशन शोध के अनुसार जो लोग हर सप्ताह 6-9 मील चलते हैं उनमें बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त कम होने की डिमेंशिया जैसी समस्या की आशंका कम हो जाती है।
- डायबिटिज
- हृदय रोग
- दर्द में राहत
- तनाव से राहत
- ब्रेस्ट कैंसर
- प्रोस्टेट कैंसर
मॉर्निंग वॉक के क्या फायदे हैं?
Walk Benefits : रोजाना पैदल चलने से नहीं होगा डायबिटीज का खतरा, ये 7 बीमारियां भी रहेंगी दूर
- ब्रेन स्ट्रोक अक्सर आपने सुना होगा या डॉक्टर के द्वारा सलाह ली होगी कि रोजाना सुबह मॉर्निंग वॉक पर जरूर जाएं।
- वजन घटाने के लिए
- डिप्रेशन
- दिमाग तेज करने के लिए
- हड्डियों को मजबूती मिलेगी
- डायबिटीज
- हृदय रोगों का खतरा कम करे
मॉर्निंग वाक के बाद क्या खाना चाहिए?
-कई लोगों को खाना खाने के बाद कुछ मीठा खाने का मन करता है। इसके लिए गुड़, खांड (10 से 15 ग्राम) जैसी चीजें ले सकते हैं। -मिठाई कम से कम खाएं। बेहतर होगा कि महीने में एक बार खाएं।
मॉर्निंग वॉक कितने किलोमीटर करना चाहिए?
हल्की-हल्की ठंड में सुबह की सैर हड्डियों के घनत्व को बढ़ाती है। टहलने से न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक क्षमता भी बढ़ जाती है एवं तनाव दूर होता है। इस मौसम में प्रतिदिन कम से कम 3 किलोमीटर व सप्ताह में 5 दिन अवश्य सैर करनी चाहिए।
10000 कदम कितने किलोमीटर?
पैदल चलना भी एक एक्सरसाइज के ही बराबर है। विशेषज्ञों के मुताबिक रोजाना 10,000 कदम यानी 2.5 किलोमीटर तक पैदल चलना चाहिए।
Weight कम करने के लिए कितना चलना चाहिए?
एक्सपर्ट्स के अनुसार रोजाना 30 से 45 मिनट वॉक करने से इंसान फिट रहता है। कई बीमारियों में राहत मिलती है। लेकिन अगर आपकी बॉडी पर फैट जमा है तो केवल पैदल चल लेने भर से ही वजन कम नहीं होता। वजन कम करने के लिये ब्रिस्क वॉक करना चाहिए।
जल्दी से वजन कैसे कम करें?
वजन कम करने के लिए आपका खान-पान (Your Diet for Obesity)
- इन फलों का करें सेवन
- मौसमी फल और सब्जियों का सेवन
- कम वसा वाले दूध से होता है वजन कम
- हल्के भोजन से होता है वजन कम
- अच्छी भूख लगने पर ही खाएं खाना
- नहीं करें कफ को बढ़ाने वाले आहार का सेवन
- गेहूं के आंटे का अधिक और चावल से बने पदार्थों का कम सेवन
क्या चलने से पेट कम होता है?
वजन और पेट की चर्बी घटाने के लिए साइकल चलाने से भी उतना ही फायदा होता है जितना जिम में घंटो पसीना बहाते हुए वर्कआउट करने से। क्योंकि साइकल चलाने से मेटाबॉलिक रेट बढ़ता है, मांसपेशियां मजबूत बनती हैं और बॉडी फैट कम होता है।
पेट कम करने के लिए क्या पीना चाहिए?
नट्स, फल और पत्तेदार सब्जियां खाएं। विटामिन सी जैसे नीबू, अमरूद, संतरा पपीते का सेवन उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो कि वजन कम करना चाहते हैं। यह फैट बर्न करता है।
एक हफ्ते में पेट कैसे कम करें?
बचा हुआ जीरा खा लें. इसके रोजाना सेवन से शरीर में फालतू चर्बी निकल जाती है लेकिन इस बात को ध्यान में रखें कि इस पानी को पीने के बाद 1 घंटें तक कुछ न खाएं. भुनी हुई हींग, काला नमक और जीरा समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें. इसे 1-3 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार दही के साथ लेने से भी मोटापा कम होता है.
पेट कमर कैसे कम करें?
-सैचुरेटेड फैट वाले उत्पाद न खाएं। -मिठाई, एल्कोहल का सेवन सीमित मात्रा में करें। -मैदा, चावल और चीनी का उपयोग खाने में कम करें। -दिन भर में तीन बार पेट भरकर खाने से हमारा पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाता इसलिए हर दो से तीन घण्टे में थोड़ा-थोड़ा खाते रहे।
पेट की चर्बी कम करने के लिए पेट पर क्या लगाएं?
एक कप गुनगुने पानी में पुदीने की कुछ पत्तियां डाल लें. आप चाहें तो इसमें शहद की कुछ बूंदें भी डाल सकते हैं. पेट की चर्बी कम करने के लिए पुदीने का ये उपाय बहुत ही कारगर है. अगर आपके पास वजन घटाने के लिए ज्यादा दिन नहीं है तो दालचीनी का ये उपाय आपके लिए खासतौर पर फायदेमंद रहेगा.
क्या महिलाओं में पेट की चर्बी का कारण बनता है?
बढ़ती उम्र के साथ शरीर में मेटाबोलिक रेट कम होने लगता है. जिस वजह से शरीर ठीक तरह से काम नहीं करता है. ज्यादातर महिलाओं में मासिक धर्म के बंद होने के बाद उनके पेट पर चर्बी बढ़ना शुरू हो जाती है. दरअसल, मासिक धर्म बंद होने पर हार्मोन में काफी बदलाव आते हैं जिस कारण महिलाओं का मोटापा बढ़ने लगता है.
पेट क्यों बढ़ता है?
तनाव की वजह से शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं जिसके कारण शरीर में फैट एकत्रित होता है। स्ट्रेस हार्मोन के रीलिज होने के कारण भी फैट एकत्रित होता है। फ्रूट जूस में चीनी अधिक मात्रा में होती है जिसके कारण बेली फैट बढ़ता है।
डिलीवरी के बाद पेट की चर्बी कैसे कम करें?
बल्कि आप कुछ घरेलू उपाय की मदद से अपना पेट कम कर सकती हैं….ऐसे करें पेट और वजन कम:
- मेथी के बीज पेट कम करने में काफी मददगार होते हैं.
- बच्चे को स्तनपान जरूर कराएं.
- बच्चे को जन्म देने के बाद पीने के लिए सिर्फ गर्म पानी का ही इस्तेमाल करें.
- अपने पेट को किसी गर्म कपड़े या बेल्ट की मदद से लपेट कर रखें.
डिलीवरी के कितने दिन बाद पेट कम होता है?
यही वजह है कि डिलीवरी के बाद फूले पेट को कम करना काफी मुश्किल होता है। गर्भाशय को सिकुड़कर सामान्य होने में 8 सप्ताह का समय लगता है।
डिलीवरी के बाद कितना पानी पिए?
प्रसव ऑपरेशन से हुआ है तो उस हिस्से की हल्के गुनगुने पानी से सिकाई करनी चाहिए। इससे भी दर्द की समस्या नहीं होगी। प्रसव के बाद पानी खूब पीना चाहिए। पानी नहीं पीने से डिहाइड्रेशन व कब्ज की समस्याएं हो सकती हैं।
नॉर्मल डिलीवरी के टांके कैसे ठीक होते हैं?
इसके लिए टब में गुनगुना पानी भरकर उसमें एक चुटकी बेकिंग सोडा डालें और पंद्रह मिनट उस पानी में बैठें। आपको दिन में तीन बार सिट्ज बाथ लेना है। इससे योनि में सूजन, दर्द और इंफेक्शन दूर होता है। अगर योनि में सूखापन हो रहा है और सेक्स के दौरान दर्द महसूस हो रहा है तो आप वजाइनल लुब्रिकेंट का इस्तेमाल कर सकती हैं।
टांके कितने दिन में सूख जाते हैं?
इसमें दो दर्जन से ज्यादा महिलाओं को हर महीने टांका नहीं सूखने की समस्या आती है। डॉक्टरों के मुताबिक 6 से 7 दिन में टांके ठीक हो जाते हैं।
नार्मल डिलीवरी में कितना दर्द होता है?
पेट में गर्म महसूस होना। संकुचन की वजह से तेज दर्द होना जो कि 40 से 60 सेकंड तक रहे।
बिना दर्द के नार्मल डिलीवरी कैसे होती है?
रवि आनंद ने बताया कि नार्मल डिलीवरी की असहनीय वेदना से निजात दिलाने के लिए कमर के निचले भाग में स्थित रीढ़ की हड्डियों के बीच निश्चेतना की सूई दी जाती है। इससे लेबर-पेन बिल्कुल नहीं होता परंतु प्रसव की प्रक्रिया अपनी सामान्य गति से चलती रहती है। इस प्रकार बिना किसी तरह के दर्द समय पूरा होने पर प्रसव हो जाता है।
ऑपरेशन के बाद नार्मल डिलीवरी हो सकती है क्या?
ऑपरेशन से डिलीवरी करवाने वाली हर महिला की दूसरी बार नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है। अगर आपकी पहले ऑपरेशन से डिलीवरी हुई है तो अगली बार आप नॉर्मल डिलीवरी करवा सकती हैं। इसे वजाइनल बर्थ आफ्टर सिजेरियन कहते हैं। सिजेरियन डिलीवरी में पेट और गर्भाशय पर बड़ा कट लगाकर सर्जरी कर के बच्चा निकाला जाता है।
फर्स्ट डिलीवरी कैसे होती है?
नॉर्मल और सिजेरियन के अलावा और भी कई तरीकों से हो सकती है डिलीवरी
- वैजाइनल डिलीवरी यह प्रसव का सबसे आम तरीका है और इस तरह की डिलीवरी को सबसे सुरक्षित और फायदेमंद माना जाता है।
- सिजेरियन डिलीवरी यदि प्रेगनेंसी में कोई परेशानी हो तो सिजेरियन डिलीवरी करवाई जाती है।
- असिस्टिड वैजाइनल डिलीवरी
- वैजाइनल बर्थ आफ्टर सी-सेक्शन
डिलीवरी के समय कौन सा इंजेक्शन लगाया जाता है?
महिलाएं गर्भ धारण से बचने के लिए हर तीन महीने में इसका इस्तेमाल कर सकती हैं. इसका नाम DMPA इंजेक्शन है. DMPA का मतलब है डिपो मेड्रोक्सी प्रोजेस्ट्रॉन एसीटेट. यानी इस इंजेक्शन में हॉर्मोन प्रोजेस्ट्रॉन का इस्तेमाल किया जाता है.
सिजेरियन डिलीवरी में कितना समय लगता है?
बता दें कि डिलीवरी के बाद किसी भी महिला के शरीर को रिकवर होने में 40 दिन का समय लगता है. इन 40 दिनों में महिलाओं को अपने शरीर का खास ख्याल रखने की काफी जरूरत होती है. इस दौरान महिलाओं को आहार में ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए जिससे उनकी कमजोरी दूर हो सके.
डिलीवरी के कितने दिन पहले बच्चेदानी का मुंह खुलता है?
गर्भावस्था के नौवें महीने में कुछ खास चीजों को खाने से बच्चेदानी का मुंह खुलने लगता है और नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्था का नौवां महीना बहुत नाजुक और महत्वपूर्ण होता है। इस समय बच्चे का सिर नीचे की ओर आना होता है। नॉर्मल डिलीवरी के लिए बच्चे का इस पोजीशन में आना बहुत जरूरी है।
नार्मल प्रसव कैसे हो?
- सही आहार आपने कई बार सुना होगा कि गर्भवती महिला को अपने खाने-पीने का पूरा ध्यान रखना चाहिए. ऐसे समय में केवल भूख को शांत करना जरूरी नहीं है.
- टहलना एक वक्त था जब गर्भावस्था में महिलाओं को चलने-फिरने से भी मना कर दिया जाता था.
- व्यायाम करें और तनावमुक्त रहें गर्भावस्था में ये बहुत जरूरी है कि गर्भवती महिला खुश रहे.
नौवें महीने में नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या खाना चाहिए?
नॉर्मल डिलीवरी चाहती हैं तो 9वें महीने में जरूर खाएं ये चीजें
- नौवे महीने में डाइट गर्भावस्था के नौवे महीने में बच्चे का अमूमन पूरा विकास हो चुका होता है और उसका वजन भी बढ़ चुका होता है।
- हल्दी
- अदरक और लहसुन
- अजवाइन के लड्डू
- गुनगुना पानी
- खजूर
- दूध के साथ घी
- नौवें महीने में क्या ना खाएं
प्रसव के कितने चरण होते हैं?
सन्तान प्रसव मानव गर्भावस्था अथवा गर्भकाल का समापन है जिसमें एक महिला के गर्भाशय से एक अथवा अधिक नवजात शिशुओं का जन्म होता है। मानव-शिशु की सामान्य प्रसूति की प्रक्रिया को प्रसव के तीन चरणों में विभाजित किया गया है: गर्भाशय ग्रीवा का छोटा होना और फैलना, शिशु का बाहर निकलना और शिशु जन्म, और गर्भनाल का बाहर निकलना।
गर्भाशय ग्रीवा का मुंह कब खुलता है?
प्रत्येक संकुचन के साथ: गर्भाशय शिशु को नीचे की ओर धकेलता है। सर्विक्स खुलता है और पतला हो जाता है। पहले चरण के अंत तक सर्विक्स पूरी तरह खुल जाता है; इतना पर्याप्त कि उसमें से शिशु बाहर निकलकर जननमार्ग (योनि) से गुजर सके। इसे 10 centimeter तक या पूरी तरह फैला हुआ बताया जाता है।